अंगड़ाई पर अंगड़ाई लेती है रात जुदाई की तुम क्या ​समझो तुम क्या जानो बात मेरी तन्हाई की ! - Judai Shayari

अंगड़ाई पर अंगड़ाई लेती है रात जुदाई की तुम क्या ​समझो तुम क्या जानो बात मेरी तन्हाई की !

Judai Shayari