तू मिले या न मिले ये मेरे मुकद्दर की बात है, सुकून बहुत मिलता है तुझे अपना सोचकर। - love shayari

तू मिले या न मिले ये मेरे मुकद्दर की बात है, सुकून बहुत मिलता है तुझे अपना सोचकर।

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