तुम कहाँ लगा पाओगे अंदाजा मेरी तबाही का, तुमने देखा ही कहाँ है मुझको शाम के बाद। - sad shayari

तुम कहाँ लगा पाओगे अंदाजा मेरी तबाही का, तुमने देखा ही कहाँ है मुझको शाम के बाद।

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