इस कदर वाकिफ है मेरी कलम मेरे जज्बातों से अगर में इश्क लिखना भी चाहूँ तो इंकलाब लिखा जाता है।
मुझे तन चाहिए, ना धन चाहिए, बस अमन से भरा यह वतन चाहिए, जब तक जिंदा रहूं, इस मातृ-भूमि के लिए, और जब मरूं तो तिरंगा ही कफन चाहिए।
इतनी सी बात हवाओं को बताये रखना, रौशनी होगी चिरागों को जलाये रखना, लहू देकर की है जिसकी हिफाजत हमने, ऐसे तिरंगे को हमेशा दिल में बसाये रखना।
राख का हर एक कण, मेरी गर्मी से गतिमान है, मैं एक ऐसा पागल हूं, जो जेल में भी आजाद है।
खुशनसीब हैं वो जो वतन पर मिट जाते हैं, मरकर भी वो लोग अमर हो जाते हैं, करता हूँ उन्हें सलाम ए वतन पे मिटने वालों, तुम्हारी हर साँस में तिरंगे का नसीब बसता है।
भारत माता के सच्चे सपूत जननायक शहीद आजाद भगत सिंह जी की जयंती पर शत-शत नमन
सीनें में जुनूं, आंखों में देशभक्ति की चमक रखता हूं, दुश्मन की सांसें थम जाए, आवाज में वो धमक रखता हूं।
हम न केवल अपने लिए बल्कि दुनिया भर के लोगों के लिए शांति और शांतिपूर्ण विकास में विश्वास करते हैं।
यदि कोई एक व्यक्ति को भी ऐसा रह गया जिसे किसी रूप में अछूत कहा जाए तो भारत को अपना सर शर्म से झुकाना पड़ेगा.
सच्चा लोकतंत्र या स्वराज कभी भी असत्य और हिंसक साधनों से नहीं आ सकते हैं।
आजादी का संरक्षण अकेले सैनिकों का काम नहीं है। पूरे देश को मजबूत होना है।
कानून के शासन का सम्मान किया जाना चाहिए ताकि हमारे लोकतंत्र की मूल संरचना को बनाए रखा जा सके और आगे बढ़ाया जा सके।
हमें उन कठिनाइयों पर विजय पानी है जो हमारे सामने आती हैं और हमारे देश की खुशी और समृद्धि के लिए दृढ़ता से काम करना चाहिए।
अनुशासन और एकता ही किसी देश की ताकत है।
हम केवल दुनिया में केवल तभी सम्मान पा सकते हैं अगर हम आंतरिक रूप से मजबूत हैं और हमारे देश से गरीबी और बेरोजगारी को खत्म कर दे।
हमें शांति के लिए उतनी ही बहादुरी से लड़ना चाहिए, जितना हम युद्ध में लड़ते हैं।
जय जवान जय किसान!
भारत रत्न श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती पर उन्हें शत-शत नमन ।