जाति कोई ईंटों की दीवार या कोई काँटों का तार नहीं है, जो हिंदुओं को आपस में मिलने से रोक सके। जाति एक धारणा है, जो मन की एक अवस्था है।

जाति कोई ईंटों की दीवार या कोई काँटों का तार नहीं है, जो हिंदुओं को आपस में मिलने से रोक सके। जाति एक धारणा है, जो मन की एक अवस्था है।

B. R. Ambedkar

आपके लिए जो उपयोगी हों केवल वही रखें ।

आपके लिए जो उपयोगी हों केवल वही रखें ।

अगर आप तैरना सीखना चाहते हो तो पानी में कूदो, सूखी जमीन में कोई भी नहीं तैर सकता।

अगर आप तैरना सीखना चाहते हो तो पानी में कूदो, सूखी जमीन में कोई भी नहीं तैर सकता।

ज्ञान आपको शक्ति देगा,  लेकिन चरित्र सम्मान देगा !

ज्ञान आपको शक्ति देगा, लेकिन चरित्र सम्मान देगा !

 आज का सबसे मुश्किल भरा काम,  कल की तैयारियों को  करना हैं !

आज का सबसे मुश्किल भरा काम, कल की तैयारियों को करना हैं !

अभ्यास आदमी को पूरा बनाता है !

अभ्यास आदमी को पूरा बनाता है !

आप जैसा सोचते हो, आप वैसा ही बन जाते हो !

आप जैसा सोचते हो, आप वैसा ही बन जाते हो !

 खुद का दिखावा करना किसी मूर्ख के सामने अपना बड़प्पन दिखाने जैसा  है।

खुद का दिखावा करना किसी मूर्ख के सामने अपना बड़प्पन दिखाने जैसा है।

जितना हम अन्य चीजों को अधिक महत्त्व देंगे, उतना ही हम  कम महत्त्व खुद को देंगे...

जितना हम अन्य चीजों को अधिक महत्त्व देंगे, उतना ही हम कम महत्त्व खुद को देंगे...

सिर्फ मूर्ख इंसान ही दिखावे में अपना विश्वास रखते हैं।

सिर्फ मूर्ख इंसान ही दिखावे में अपना विश्वास रखते हैं।

एक महान आदमी एक आम आदमी से इस तरह से अलग है कि वह समाज का सेवक बनने को तैयार रहता है।

एक महान आदमी एक आम आदमी से इस तरह से अलग है कि वह समाज का सेवक बनने को तैयार रहता है।

मैं राजनीति में सुख भोगने नहीं बल्कि अपने सभी दबे-कुचले भाईयों को उनके अधिकार दिलाने आया हूं।

मैं राजनीति में सुख भोगने नहीं बल्कि अपने सभी दबे-कुचले भाईयों को उनके अधिकार दिलाने आया हूं।

समानता एक कल्पना हो सकती है, लेकिन फिर भी इसे एक गवर्निंग सिद्धांत के रूप में स्वीकार करना होगा।

समानता एक कल्पना हो सकती है, लेकिन फिर भी इसे एक गवर्निंग सिद्धांत के रूप में स्वीकार करना होगा।

यदि मुझे लगा कि संविधान का दुरूपयोग किया जा रहा है, तो मैं इसे सबसे पहले जलाऊंगा।

यदि मुझे लगा कि संविधान का दुरूपयोग किया जा रहा है, तो मैं इसे सबसे पहले जलाऊंगा।

यदि हम एक संयुक्त एकीकृत आधुनिक भारत चाहते हैं तो सभी धर्म-शास्त्रों की संप्रभुता का अंत होना चाहिए।

यदि हम एक संयुक्त एकीकृत आधुनिक भारत चाहते हैं तो सभी धर्म-शास्त्रों की संप्रभुता का अंत होना चाहिए।

कानून और व्यवस्था राजनीतिक शरीर की दवा है और जब राजनीतिक शरीर बीमार पड़ जाय तो दवा जरुर देनी चाहिए।

कानून और व्यवस्था राजनीतिक शरीर की दवा है और जब राजनीतिक शरीर बीमार पड़ जाय तो दवा जरुर देनी चाहिए।

जब तक आप सामाजिक स्ववतंत्रता नहीं हासिल कर लेते, कानून आपको जो भी स्वतंत्रता देता है वो आपके लिये बेमानी हैं।

जब तक आप सामाजिक स्ववतंत्रता नहीं हासिल कर लेते, कानून आपको जो भी स्वतंत्रता देता है वो आपके लिये बेमानी हैं।

जो धर्म जन्म से एक को 'श्रेष्ठ' और दूसरे को 'नीच' बनाए रखे, वह धर्म नहीं, गुलाम बनाए रखने का षड़यंत्र है।

जो धर्म जन्म से एक को 'श्रेष्ठ' और दूसरे को 'नीच' बनाए रखे, वह धर्म नहीं, गुलाम बनाए रखने का षड़यंत्र है।

सागर में मिलकर अपनी पहचान खो देने वाली पानी की एक बूंद के विपरीत, इंसान जिस समाज में रहता है, वहां अपनी पहचान नहीं खोता।

सागर में मिलकर अपनी पहचान खो देने वाली पानी की एक बूंद के विपरीत, इंसान जिस समाज में रहता है, वहां अपनी पहचान नहीं खोता।