राजा बनने का शौक है तो गुलामों के जैसे मेहनत करनी होगी।
24 घंटे तो सब के पास है, कोई किसी का पति बनने का सपना पालेगा, और कोई महेनत कर के करोड़पति बनने का ख्वाब सजाएगा।
जो पानी से नहायेगा वो अपना लिबाज़ बदलेगा और जो पसीने से नहायेगा वो एक इतिहास बदलेगा।
हमारे यहाँ पढाई और पिटाई जम कर ही होती है, क्यों की आज कोई छात्र बिना ज्ञान लिए लौट गया तो वह 10 लोगों के लिए गलत उदहारण पेश करेगा।
निर्णय लेने से पहले स्वयं द्वारा अभ्यास करना महत्वपूर्ण है, जिंदगी हो या गाड़ी, जीतेगा वही जो समय रहते गियर चैंज कर लेता है।
जो अपने ऊपर खर्च करते है, उसी को लोग भविष्य में गूगल पर सर्च करते हैं
दिल लगाना है तो किताबो से लगाओ बेवफा भी निकलेगी तो मुक्कदर बना कर छोड़ेगी
यह दुःख यह दर्द सब तेरे अंदर है, तू बनाए अपने इस पिंजरे से बाहर निकल, तू अपने आप में एक “सिकंदर” है।
छत का गुरुर तभी तक है जब तक एक और मंजिल न बन जाए। अर्श को फर्श बनने में इतना ही समय लगता है।
लोग पूछते हैं, की फीस के नाम पर इतना कम पैसा क्यों लेते हैं ? अब बच्चों का प्यार ही इतना ज्यादा है कि, कम पैसा भी कभी कभी ज्यादा लगने लगता है।
टीचर का कमिटमेंट ऐसा हो, की जो चीज (विद्या) जानते हैं, उसे धड़ल्ले से फैंक दे अपने स्टूडेंट के सामने, गुरु के तौर पर ऐसा समर्पण होना चाहिए।
कुछ भी हो जाए, लक्ष्य से हटूं नहीं, भावुक हो जाता हूँ, अच्छाई के लिए जूठ बोलने से भी कतराता नहीं हूँ।
कुछ दोस्त तो जिंदगी में ऐसे बना लो जैसे डॉक्टर की लिखावट मेडिकल स्टोर वाला फटाक से समझ लेता है।
दुनियां का असूल है, पूछते खैरियत हैं लेकिन, इरादा तो बस आप की हैसियत जानने का होता है।
किसी का ध्यान सर्वोच्च पर केंद्रित करने और उसी के प्रति प्रेम रखने की कला को ही चेतना कहते हैं
वास्तव में, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता – कृष्ण या क्राइस्ट – नाम एक ही है। मुख्य बिंदु वैदिक शास्त्रों के निषेध का पालन करना है जो इस युग में भगवान के नाम का जप करने की सलाह देते हैं।
भगवान के प्रति सर्वोच्च समर्पण के बाद हम शांति और प्रेम का अनुभव कर सकते हैं।
किसी का ध्यान सर्वोच्च पर केंद्रित करने और उसी के प्रति प्रेम रखने की कला को ही चेतना कहते हैं|