जो अपने ऊपर खर्च करते है, उसी को लोग भविष्य में गूगल पर सर्च करते हैं
दिल लगाना है तो किताबो से लगाओ बेवफा भी निकलेगी तो मुक्कदर बना कर छोड़ेगी
यह दुःख यह दर्द सब तेरे अंदर है, तू बनाए अपने इस पिंजरे से बाहर निकल, तू अपने आप में एक “सिकंदर” है।
छत का गुरुर तभी तक है जब तक एक और मंजिल न बन जाए। अर्श को फर्श बनने में इतना ही समय लगता है।
आज किताबों के दीवाने बन जाओ, कल दुनियां आप की दीवानी होगी, इस तथ्य का गवाह इतिहास है।
लोग पूछते हैं, की फीस के नाम पर इतना कम पैसा क्यों लेते हैं ? अब बच्चों का प्यार ही इतना ज्यादा है कि, कम पैसा भी कभी कभी ज्यादा लगने लगता है।
टीचर का कमिटमेंट ऐसा हो, की जो चीज (विद्या) जानते हैं, उसे धड़ल्ले से फैंक दे अपने स्टूडेंट के सामने, गुरु के तौर पर ऐसा समर्पण होना चाहिए।
कुछ भी हो जाए, लक्ष्य से हटूं नहीं, भावुक हो जाता हूँ, अच्छाई के लिए जूठ बोलने से भी कतराता नहीं हूँ।
कुछ दोस्त तो जिंदगी में ऐसे बना लो जैसे डॉक्टर की लिखावट मेडिकल स्टोर वाला फटाक से समझ लेता है।
किसी का ध्यान सर्वोच्च पर केंद्रित करने और उसी के प्रति प्रेम रखने की कला को ही चेतना कहते हैं
वास्तव में, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता – कृष्ण या क्राइस्ट – नाम एक ही है। मुख्य बिंदु वैदिक शास्त्रों के निषेध का पालन करना है जो इस युग में भगवान के नाम का जप करने की सलाह देते हैं।
भगवान के प्रति सर्वोच्च समर्पण के बाद हम शांति और प्रेम का अनुभव कर सकते हैं।
किसी का ध्यान सर्वोच्च पर केंद्रित करने और उसी के प्रति प्रेम रखने की कला को ही चेतना कहते हैं|
पापी जीवन से मुक्त होने के लिए, केवल सरल विधि है: यदि आप कृष्ण में समर्पित हो जाते हैं। यही भक्ति की शुरुआत है
शांति केवल भगवान में ही मिलती है, अन्य सब चीजें अस्थायी हैं।
खुद को अकेला महसूस न करें क्योंकि भगवान हमेशा आपके साथ हैं|
दर्शन के बिना धर्म भावना है, या कभी-कभी कट्टरता है, जबकि धर्म के बिना दर्शन मानसिक अटकलें हैं
भगवान के बिना हम आत्म-तृप्ति नहीं प्राप्त कर सकते हैं।