हम सब प्रसिद्ध बनना चाहते है और जब हम कुछ बनना चाहते है , तो अपनी आजादी खो देते है |

हम सब प्रसिद्ध बनना चाहते है और जब हम कुछ बनना चाहते है , तो अपनी आजादी खो देते है |

Jiddu Krishnamurti

वास्तविक शिक्षा तब आती है जब प्रतिस्पर्धी भावना समाप्त हो जाती है|

वास्तविक शिक्षा तब आती है जब प्रतिस्पर्धी भावना समाप्त हो जाती है|

तुलना करना मन का स्वभाव है जो सत्य की खोज के लिए जागृत नहीं है।

तुलना करना मन का स्वभाव है जो सत्य की खोज के लिए जागृत नहीं है।

महत्त्वाकांक्षी व्यक्ति को कभी भी अपना सच्चा पेशा नहीं मिला..

महत्त्वाकांक्षी व्यक्ति को कभी भी अपना सच्चा पेशा नहीं मिला..

सत्य ही हमें आजाद करता है , आजाद होने की कोशिशे नहीं |

सत्य ही हमें आजाद करता है , आजाद होने की कोशिशे नहीं |

महत्वपूर्ण बात यह है कि सबसे पहले यह पता करें कि आप किससे डरते हैं, इसे समझें और इससे दूर न भागें।

महत्वपूर्ण बात यह है कि सबसे पहले यह पता करें कि आप किससे डरते हैं, इसे समझें और इससे दूर न भागें।

जीवन का परिवर्तन सिर्फ इसी बोध में निहित है की आप स्वतंत्र रूप से सोचते है की नही और आप अपनी सोच पर ध्यान देते है की नहीं |

जीवन का परिवर्तन सिर्फ इसी बोध में निहित है की आप स्वतंत्र रूप से सोचते है की नही और आप अपनी सोच पर ध्यान देते है की नहीं |

आपने जो भी परम्परा, देश और काल से जाना है उससे मुक्त होकर ही आप सच्चे अर्थों में मानव बन पाएंगे |

आपने जो भी परम्परा, देश और काल से जाना है उससे मुक्त होकर ही आप सच्चे अर्थों में मानव बन पाएंगे |

नेता अनुयायियों को नष्ट कर देते हैं और अनुयायी नेताओं को नष्ट कर देते हैं।

नेता अनुयायियों को नष्ट कर देते हैं और अनुयायी नेताओं को नष्ट कर देते हैं।

आंतरिक अनुशासन जरुरी है , बाहरी अनुशासन मन को मुर्ख बना देता है | यह नक़ल करने की प्रवृति लाता है |

आंतरिक अनुशासन जरुरी है , बाहरी अनुशासन मन को मुर्ख बना देता है | यह नक़ल करने की प्रवृति लाता है |

स्वयं को न जानना ही अज्ञानता है , खुद को जानना ही ज्ञान हासिल करने की शुरुआत है |

स्वयं को न जानना ही अज्ञानता है , खुद को जानना ही ज्ञान हासिल करने की शुरुआत है |

शांति तभी आ सकती है जब प्रेम हो।

शांति तभी आ सकती है जब प्रेम हो।

विचार ही भय का मूल है।

विचार ही भय का मूल है।

सतर्क मौन में ही सत्य हो सकता है।

सतर्क मौन में ही सत्य हो सकता है।

सुखी है वह मनुष्य जो कुछ भी नहीं है।

सुखी है वह मनुष्य जो कुछ भी नहीं है।

एकांत सुन्दर अनुभूति है | एकांत में होने का अर्थ अकेले होना नहीं है | इसका अर्थ है मस्तिष्क समाज द्वारा प्रभावित और प्रदूषित नहीं है |

एकांत सुन्दर अनुभूति है | एकांत में होने का अर्थ अकेले होना नहीं है | इसका अर्थ है मस्तिष्क समाज द्वारा प्रभावित और प्रदूषित नहीं है |

स्वयं को समझना ज्ञान की शुरुआत है।

स्वयं को समझना ज्ञान की शुरुआत है।

सत्य पथहीन भूमि है।

सत्य पथहीन भूमि है।

आदेश संभवतः किसी भी परिस्थिति में एक पैटर्न के अनुरूप नहीं लाया जा सकता है।

आदेश संभवतः किसी भी परिस्थिति में एक पैटर्न के अनुरूप नहीं लाया जा सकता है।