क्रोध में मनुष्य अपने मन की बात कहने के बजाय दूसरों के ह्रदय को ज़्यादा दुखाता है। - Munshi Premchand Quotes

क्रोध में मनुष्य अपने मन की बात कहने के बजाय दूसरों के ह्रदय को ज़्यादा दुखाता है।

Munshi Premchand