खुली हवा में चरित्र के भ्रष्ट होने की उससे कम संभावना है, जितना बन्द कमरे में।

खुली हवा में चरित्र के भ्रष्ट होने की उससे कम संभावना है, जितना बन्द कमरे में।

Munshi Premchand

कभी-कभी हमें उन लोगों से शिक्षा मिलती है, जिन्हें हम अभिमान वश अज्ञानी समझते हैं।

कभी-कभी हमें उन लोगों से शिक्षा मिलती है, जिन्हें हम अभिमान वश अज्ञानी समझते हैं।

 क्रोध में मनुष्य अपने मन की बात कहने के बजाय दूसरों के ह्रदय को ज़्यादा दुखाता है।

क्रोध में मनुष्य अपने मन की बात कहने के बजाय दूसरों के ह्रदय को ज़्यादा दुखाता है।

 कुल की प्रतिष्ठा सदव्यवहार और विनम्रता से होती है, हेकड़ी और रौब दिखाने से नहीं।

कुल की प्रतिष्ठा सदव्यवहार और विनम्रता से होती है, हेकड़ी और रौब दिखाने से नहीं।

 क्रोध मौन सहन नहीं कर सकता है। मौन के आगे क्रोध की शक्ति असफल हो जाती है।

क्रोध मौन सहन नहीं कर सकता है। मौन के आगे क्रोध की शक्ति असफल हो जाती है।

देश का उद्धार विलासियों द्वारा नहीं हो सकता। उसके लिए सच्चा त्यागी होना पड़ेगा।

देश का उद्धार विलासियों द्वारा नहीं हो सकता। उसके लिए सच्चा त्यागी होना पड़ेगा।

सोने और खाने का नाम जिंदगी नहीं है, आगे बढ़ते रहने की लगन का नाम जिंदगी है।

सोने और खाने का नाम जिंदगी नहीं है, आगे बढ़ते रहने की लगन का नाम जिंदगी है।

 मोहब्बत रूह की ख़ुराक है, यह वह अमृत है जो मरे हुए भावों को ज़िंदा कर देती है।

मोहब्बत रूह की ख़ुराक है, यह वह अमृत है जो मरे हुए भावों को ज़िंदा कर देती है।

विजयी व्यक्ति स्वभाव से बहिर्मुखी होता है। पराजय व्यक्ति को अन्तर्मुखी बनाती है।

विजयी व्यक्ति स्वभाव से बहिर्मुखी होता है। पराजय व्यक्ति को अन्तर्मुखी बनाती है।

जिसकी आत्मा में बल नहीं, अभिमान नहीं, वह और चाहे कुछ हो, आदमी नहीं है!

जिसकी आत्मा में बल नहीं, अभिमान नहीं, वह और चाहे कुछ हो, आदमी नहीं है!

संतान वह सबसे कठिन परीक्षा है जो ईश्वर ने मनुष्य को परखने के लिए गढ़ी है।

संतान वह सबसे कठिन परीक्षा है जो ईश्वर ने मनुष्य को परखने के लिए गढ़ी है।

 जीवन का वास्तविक सुख, दूसरों को सुख देने में है। उनका सुख छीनने में नहीं।

जीवन का वास्तविक सुख, दूसरों को सुख देने में है। उनका सुख छीनने में नहीं।

शारीरिक कष्टों का सहना उतना कठिन नहीं है, जितना कि मानसिक कष्टों का।

शारीरिक कष्टों का सहना उतना कठिन नहीं है, जितना कि मानसिक कष्टों का।

जिन वृक्षों की जड़ें गहरी होती हैं, उन्हें बार-बार सींचने की जरूरत नहीं होती।

जिन वृक्षों की जड़ें गहरी होती हैं, उन्हें बार-बार सींचने की जरूरत नहीं होती।

 संसार में गऊ बनने से काम नहीं चलता, जितना दबो, उतना ही दबाते हैं।

संसार में गऊ बनने से काम नहीं चलता, जितना दबो, उतना ही दबाते हैं।

 माँ की ‘ममता’ और पिता की ‘क्षमता’ का अंदाज़ा लगा पाना असंभव है।

माँ की ‘ममता’ और पिता की ‘क्षमता’ का अंदाज़ा लगा पाना असंभव है।

अधिकार में स्वयं एक आनंद है, जो उपयोगिता की परवाह नहीं करता।

अधिकार में स्वयं एक आनंद है, जो उपयोगिता की परवाह नहीं करता।

 बल की शिकायतें सब सुनते हैं, निर्बल की फरियाद कोई नहीं सुनता।

बल की शिकायतें सब सुनते हैं, निर्बल की फरियाद कोई नहीं सुनता।

 विचार और व्यवहार में सामंजस्य न होना ही धूर्तता है, मक्कारी है।

विचार और व्यवहार में सामंजस्य न होना ही धूर्तता है, मक्कारी है।