अंधी प्रशंसा अपने पात्र को घमंडी और अंधी भक्ति धूर्त बनाती है! - Munshi Premchand Quotes

अंधी प्रशंसा अपने पात्र को घमंडी और अंधी भक्ति धूर्त बनाती है!

Munshi Premchand