जल्द ही हमने देखा कि पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को दिया जा रहा पैसा परिवार के लिए अधिक फायदेमंद रह रहा है। इसलिए हमने अपनी नीति बदली और महिलाओं को उच्च प्राथमिकता देने लगे।
मेरी सबसे बड़ी चुनौती लोगों की मानसिकता बदलना रही है. मानसिकता हम पर अजीब चालें खेलती है। हम चीजों को उस तरह से देखते हैं जिस तरह हमारे दिमाग ने हमारी आँखों को देखने का निर्देश दिया है।
मैंने ऐसे लोगों की लिस्ट बनायीं जिन्हे बस थोड़े से पैसों की ज़रुरत थी। और जब वो पूरी हो गयी तो उसमे ४२ नाम थे। उन्हें जो कुल पैसों की आवश्यकता थी वो थी २७ डॉलर। मैं हैरान रह गया।
गरीबी इंसानो पर एक बाहरी, कृत्रिम थोपी हुई चीज है ; यह मनुष्यों में जन्मजात नहीं है। और चूँकि ये बाहरी है , इसे हटाया जा सकता है। बस ऐसा करने का सवाल है।
पैसा बनाना एक खुशी है। और यह एक बहुत बड़ा प्रोत्साहन है। अन्य लोगों को खुश करना बहुत बड़ी खुशी है।
मैं बैंक गया और गरीबों को ऋण देने का प्रस्ताव रखा . बैंकर्स लगभग गिर ही गए।शी है।
खूब जियो ग्रामीण बैंक। गरीब महिलाओं की शक्ति प्रबल रहे।
जहाँ प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण है वहीँ वास्तव में मायने ये रखता है कि हम इसका करते क्या हैं।
सभी मनुष्य जन्मजात उद्यमी होते हैं। कुछ को यह क्षमता दिखाने का मौका मिलता है। कुछ को कभी नहीं मिलता , कभी नहीं पता चला की इसमें या उसमे ये क्षमता है।
गरीबी सभी मानव अधिकारों की अनुपस्थिति के समान है। घोर गरीबी से उत्पन्न कुंठा, दुश्मनी और क्रोध किसी भी समाज में शांति बने रहने नहीं दे सकते।
मनुष्य सिर्फ पैसा कमाने से कहीं बढ़कर हैं।
मनुष्य जितना ज्ञान में घुल गया हो उतना ही कर्म के रंग में रंग जाता है।
किसी भी जगह हो रहा अन्याय हर स्थान पर न्याय के लिए खतरा है।
द्वेष को हम द्वेष से नहीं मिटा सकते। प्रेम की शक्ति ही उसे मिटा सकती है।
औपचारिक शिक्षा आपको जीविकोपार्जन के लिए उपयुक्त अवसर देती है, जबकि अनुभव आपका भाग्य बनाते हैं।
जब तक कष्ट सहने की तैयारी नहीं होती तब तक लाभ दिखाई नहीं देता। लाभ की इमारत कष्ट की धूप में ही बनती है।
मौन और एकांत आत्मा के सर्वोत्तम मित्र है।
जिस त्याग से अभिमान उत्पन्न होता है, वह त्याग नहीं, त्याग से शांति मिलनी चाहिए, अंतत: अभिमान का त्याग ही सच्चा त्याग है।