कोई भी किसी को एक तरह धक्का नहीं दे सकता

कोई भी किसी को एक तरह धक्का नहीं दे सकता

Dr Rajendra Prasad

प्रण को तोड़ने से पुण्य नष्ट हो जाते हैं।

प्रण को तोड़ने से पुण्य नष्ट हो जाते हैं।

स्त्री या पुरुष के लिए क्षमा ही अलंकार है।

स्त्री या पुरुष के लिए क्षमा ही अलंकार है।

जो व्यक्ति अपने पक्ष को छोड़कर दुसरो के पक्ष में मिल जाता है फिर उस पक्ष के नष्ट होने पर वह खुद ही नष्ट हो जाता है।

जो व्यक्ति अपने पक्ष को छोड़कर दुसरो के पक्ष में मिल जाता है फिर उस पक्ष के नष्ट होने पर वह खुद ही नष्ट हो जाता है।

जो व्यक्ति वीर और बलवान होते है, वे जलहीन बादलों के समान खाली गर्जना नहीं करते है।

जो व्यक्ति वीर और बलवान होते है, वे जलहीन बादलों के समान खाली गर्जना नहीं करते है।

समय से शक्तिशाली कोई देवता नहीं है.

समय से शक्तिशाली कोई देवता नहीं है.

किसी भी चीज की अति करने से दुख प्राप्त होता है.

किसी भी चीज की अति करने से दुख प्राप्त होता है.

मनुष्य जो कुछ भी करता है, अच्छा या बुरा एक दिन उसके पास वापस आता है. और वह हर चीज के लिए भुगतान करता है.

मनुष्य जो कुछ भी करता है, अच्छा या बुरा एक दिन उसके पास वापस आता है. और वह हर चीज के लिए भुगतान करता है.

गाय की सुरक्षा करना, भारत का शाश्वत धर्म है!

गाय की सुरक्षा करना, भारत का शाश्वत धर्म है!

हर किसी को अपनी उम्र के साथ सीखने के लिए खेलना चाहिए

हर किसी को अपनी उम्र के साथ सीखने के लिए खेलना चाहिए

पेड़ो के आसपास चलने वाला अभिनेता कभी आगे नही बढ़ सकता

पेड़ो के आसपास चलने वाला अभिनेता कभी आगे नही बढ़ सकता

किसी की गलत मंशाएं आपको किनारे नहीं लगा सकतीं.

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मैं एक ऐसे पड़ाव पर हूं, जहां खुद की उम्र को बेहद अच्छी तरह समझता हूं.

मैं एक ऐसे पड़ाव पर हूं, जहां खुद की उम्र को बेहद अच्छी तरह समझता हूं.

खुद पर उम्र को कभी हावी नहीं होने देना चाहिए.

खुद पर उम्र को कभी हावी नहीं होने देना चाहिए.

जो मैं करता हूं, उन सभी भूमिकाओं के बारे में सावधान रहता हूं.

जो मैं करता हूं, उन सभी भूमिकाओं के बारे में सावधान रहता हूं.

मंजिल को पाने की दिशा में आगे बढ़ते हुए याद रहे कि मंजिल की ओर बढ़ता रास्ता भी उतना ही नेक हो.

मंजिल को पाने की दिशा में आगे बढ़ते हुए याद रहे कि मंजिल की ओर बढ़ता रास्ता भी उतना ही नेक हो.

मैं जानता हूं, 10 साल पहले किए गए काम दोबारा उसी शिद्दत नहीं कर पाउंगा.

मैं जानता हूं, 10 साल पहले किए गए काम दोबारा उसी शिद्दत नहीं कर पाउंगा.

आजकल का सिनेमा तड़क-भड़क और भावनाओं पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करता है.

आजकल का सिनेमा तड़क-भड़क और भावनाओं पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करता है.

जो बात सिद्धांत में गलत है, वह बात व्यवहार में भी सही नहीं है.

जो बात सिद्धांत में गलत है, वह बात व्यवहार में भी सही नहीं है.