शराब, तम्बाकू और नशीले पदार्थ तथा दमन और शोषण को दूर करने के लिए हमें गाँव-गाँव जाकर अलख जगानी होगी.
धर्म यदि अधार्मिक कृत्यों को रोकने के लिए आगे नहीं आता तो वह धर्म नहीं बल्कि पाखण्ड ही माना जाएगा.
. हम भारतवासी वसुधैव कुटुम्बकम अर्थात पूरा विश्व एक परिवार है, को मानने वाले हैं.
सब बच्चों के लिए शिक्षा अनिवार्य और नि:शुल्क हो ताकि उनकी योग्यताओं के विकास का उन्हें समुचित अवसर मिल सके.
भारत की एकता एवं सदभाव का आधार ईश्वर है, धर्म नहीं.
अगर हमारे हृदय, प्यार और दया एवं हमारे मस्तिष्क सच्चाई और न्याय की लौ से जगमग नहीं होंगे तो हम अपने भाइयों एवं पड़ोसियों को दुश्मन मानने की भूल करेंगे.
धर्म तो एक प्रेम बंधन है, जो लोगों को जोड़ता है- इसे हिंसा और बदले का हथियार बनाना इसका अपमान है.
देश की राजनीति दिशाहीन थी, अब तो यह नैतिकता विहीन हो गई है.
आज हमारे देश में पनप रही अव्यवस्था, अपसंस्कृति, उच्छृंखलता और अवैज्ञानिकता के उन्मूलनार्थ वैदिक पथ पर चलने की जरूरत है.
आज हमारा देश जातिवाद, साम्प्रदायिकता, भ्रष्टाचार, पाखंड, नशाखोरी, शोषण और नारी उत्पीडन में आकण्ठ डूबा हुआ है. समूची, व्यवस्था इतनी लचर और भ्रष्ट हो चुकी है कि संसद, विधान सभाएँ और अदालतें भी अक्षम सिद्ध हो रही हैं.
कानून को अपने हाथों में लेना अराजकता को दावत देना है.
युवा बलवान होता है, उर्जावान होता है, तेजस्वी होता है. उसका स्वभाव गतिशील है. उन्हें कुछ कर दिखाने का अवसर मिलना चाहिए.
हमें अपने सांस्कृतिक मूल्यों को पुनर्स्थापित करना होगा.