सम्पूर्ण सत्य आवश्यक है। आपको जो कहते हैं, उसके अनुसार जीना चाहिए।

सम्पूर्ण सत्य आवश्यक है। आपको जो कहते हैं, उसके अनुसार जीना चाहिए।

Neem Karoli Baba

शक्ति ही शान्ति की नींव है।

शक्ति ही शान्ति की नींव है।

आत्मनिर्भरता ही स्वाभिमान का आधार है।

आत्मनिर्भरता ही स्वाभिमान का आधार है।

धर्म केवल पूजा नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है।

धर्म केवल पूजा नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है।

स्त्री शक्ति को पहचानो, क्योंकि वह सृजन और संरक्षण दोनों का आधार है।

स्त्री शक्ति को पहचानो, क्योंकि वह सृजन और संरक्षण दोनों का आधार है।

हमें अपने गौरवशाली इतिहास से प्रेरणा लेकर भविष्य को मजबूत बनाना चाहिए।

हमें अपने गौरवशाली इतिहास से प्रेरणा लेकर भविष्य को मजबूत बनाना चाहिए।

सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने से जीवन सार्थक बनता है।

सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने से जीवन सार्थक बनता है।

राष्ट्र की सेवा ही सच्चा धर्म है।

राष्ट्र की सेवा ही सच्चा धर्म है।

बस इस क्षण में रहो।

बस इस क्षण में रहो।

क्षमा सबसे बड़ा हथियार है, क्योंकि इससे सुसज्जित संत अविचलित रहता है, वह तुरंत क्रोध त्याग सकता है।

क्षमा सबसे बड़ा हथियार है, क्योंकि इससे सुसज्जित संत अविचलित रहता है, वह तुरंत क्रोध त्याग सकता है।

भूतकाल जा चुका है, भविष्य अभी आया नहीं है। वर्तमान में जियो।

भूतकाल जा चुका है, भविष्य अभी आया नहीं है। वर्तमान में जियो।

धन का उपयोग दूसरों की मदद के लिए किया जाना चाहिए।

धन का उपयोग दूसरों की मदद के लिए किया जाना चाहिए।

जितना शांत हो जाओगे, उतना ही तुम सुन पाओगे।

जितना शांत हो जाओगे, उतना ही तुम सुन पाओगे।

यह ज़रूरी नहीं है कि आप अपने गुरु से भौतिक धरातल पर ही मिलें। गुरु कोई बाहरी नहीं है।

यह ज़रूरी नहीं है कि आप अपने गुरु से भौतिक धरातल पर ही मिलें। गुरु कोई बाहरी नहीं है।

किसी को भी अपने दिल से मत निकालो।

किसी को भी अपने दिल से मत निकालो।

अपने हृदय का दर्पण साफ़ करो, और तुम परमेश्वर को देखोगे।

अपने हृदय का दर्पण साफ़ करो, और तुम परमेश्वर को देखोगे।

यदि तुम परिवार की कमजोरियों से छुटकारा नहीं पा सकते, तो उसे खुशी से स्वीकारो।

यदि तुम परिवार की कमजोरियों से छुटकारा नहीं पा सकते, तो उसे खुशी से स्वीकारो।

आसक्ति आत्मबोध में सबसे बड़ी बाधा है।

आसक्ति आत्मबोध में सबसे बड़ी बाधा है।

हर चीज़ में भगवान को देखना ही पूजा का सबसे उच्च रूप है।

हर चीज़ में भगवान को देखना ही पूजा का सबसे उच्च रूप है।