अपनों की फितरत में ही है धोखा देना क्यूंकि गैरों से मिले धोखे का तो दर्द भी नहीं होता! - Dhoka Shayari

अपनों की फितरत में ही है धोखा देना क्यूंकि गैरों से मिले धोखे का तो दर्द भी नहीं होता!

Dhoka Shayari