थोड़ा सा और बिखर जाऊ मैंने यही ठानी है, ए ज़िन्दगी थोड़ा रुक मैंने अभी हार कहा मानी है! - King Shayari

थोड़ा सा और बिखर जाऊ मैंने यही ठानी है, ए ज़िन्दगी थोड़ा रुक मैंने अभी हार कहा मानी है!

King Shayari