मौत की हिम्मत कहां थी मुझसे टकराने की, कमबख्त ने मोहब्बत को मेरी सुपारी दे डाली! - Maut Shayari

मौत की हिम्मत कहां थी मुझसे टकराने की, कमबख्त ने मोहब्बत को मेरी सुपारी दे डाली!

Maut Shayari