आखिरी दीदार कर लो खोल कर मेरा कफ़न, अब ना शरमाओ कि चश्म-ए-मुन्तजिर बेनूर है ! - Maut Shayari

आखिरी दीदार कर लो खोल कर मेरा कफ़न, अब ना शरमाओ कि चश्म-ए-मुन्तजिर बेनूर है !

Maut Shayari