ये क्या उठाये कदम और आ गयी मंजिल, मज़ा तो तब है के पैरों में कुछ थकान रहे।
अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे, फिर भी मशहूर हैं, शहरों में फ़साने मेरे।
वो एक सवाल है फिर उसका सामना होगा, दुआ करो की सलामत मेरी ज़बान रहे।
है सादगी में अगर यह आलम, के जैसे बिजली चमक रही है, जो बन संवर के सड़क पे निकलो, तो शहर भर में धमाल कर दो।
तन्हाई ले जाती है जहाँ तक याद तुम्हारी, वही से शुरू होती है ज़िन्दगी हमारी, नहीं सोचा था चाहेंगे हम तुम्हे इस कदर, पर अब तो बन गए हो तुम किस्मत हमारी।
नींदो से जंग होती रहेगी तमाम उम्र, आँखों में बंद ख्वाब अगर खुल के आ गए।
साँसों की सीडियों से उतर आई जिंदगी, बुझते हुए दिए की तरह जल रहे हैं हम, उम्रों की धुप, जिस्म का दरिया सुखा गई, हैं हम भी आफताब, मगर ढल रहे हैं हम।
गम सलामत हैं तो पीते ही रहेंगे लेकिन, पहले मयखाने की हालात तो संभाली जाए।
मेरी ख्वाहिश है कि आंगन में न दीवार उठे, मेरे भाई, मेरे हिस्से की जमीं तू रख ले कभी दिमाग, कभी दिल, कभी नजर में रहो, ये सब तुम्हारे घर हैं, किसी भी घर में रहो।
तेरी हर बात मोहब्बत में गँवारा करके, दिल के बाज़ार में बैठे हैं खसारा करके, मैं वो दरिया हूँ कि हर बूंद भंवर है जिसकी, तुमने अच्छा ही किया मुझसे किनारा करके।
इसे तूफां ही किनारे से लगा देते हैं, मेरी कश्ती किसी पतवार की मोहताज नहीं।
नयी हवाओं की सोहबत बिगाड़ देती हैं, कबूतरों को खुली छत बिगाड़ देती हैं, जो जुर्म करते है इतने बुरे नहीं होते, सज़ा न देके अदालत बिगाड़ देती हैं।
जो तौर है दुनिया का उसी तौर से बोलो, बहरों का इलाक़ा है ज़रा ज़ोर से बोलो।
आग के पास कभी मोम को लाकर देखूँ, हो इज़ाज़त तो तुझे हाथ लगाकर देखूँ, दिल का मंदिर बड़ा वीरान नज़र आता है सोचता हूँ तेरी तस्वीर लगाकर देखूँ।
सलिक़ा जिनको सिखाया था हमने चलने का, वो लोग आज हमें दायें-बायें करने लगे।
सब प्यासे हैं सबका अपना ज़रिया है, बढ़िया है, हर कुल्हड़ में छोटा-मोटा दरिया है, बढ़िया है।
जा के ये कह दे कोई शोलों से चिंगारी से इश्क़ है फूल इसबार खिलेगी बड़ी तैयारी है मुदात्तो क बाद यु तब्दिल हुआ है मौसम जैसे छुटकारा मिली हो बीमारी से।
मेरे अधूरे शेर में थी कुछ कमी मगर, तुम मुस्कुरा दिए तो मुझे दाद मिल गयी।