इसे तूफां ही किनारे से लगा देते हैं, मेरी कश्ती किसी पतवार की मोहताज नहीं। - Rahat Indori Shayari

इसे तूफां ही किनारे से लगा देते हैं, मेरी कश्ती किसी पतवार की मोहताज नहीं।

Rahat Indori Shayari

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