और तो क्या था बेचने के लिए अपनी आँखों के ख़्वाब बेचे हैं !
 - Aankhein Shayari

और तो क्या था बेचने के लिए अपनी आँखों के ख़्वाब बेचे हैं !

Aankhein Shayari