हर बार मुझे जख्म ए दिल ना दिया कर, तू मेरी नहीं तो मुझे दिखाई ना दिया कर, सच-झूठ तेरी आँखों से हो जाता हैं जाहिर, क़समें ना खा, इतनी सफाई ना दिया कर. - Dard Shayari

हर बार मुझे जख्म ए दिल ना दिया कर, तू मेरी नहीं तो मुझे दिखाई ना दिया कर, सच-झूठ तेरी आँखों से हो जाता हैं जाहिर, क़समें ना खा, इतनी सफाई ना दिया कर.

Dard Shayari

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