न खुशी खरीद पाता हूं, न गम बेच पता हूं फिर भी न जाने क्यूं, हर रोज़ कमाने जाता हूं! - Mood Off Shayari

न खुशी खरीद पाता हूं, न गम बेच पता हूं फिर भी न जाने क्यूं, हर रोज़ कमाने जाता हूं!

Mood Off Shayari