आँखे तो क़ैदखाने से बाहर न आ सकी पर जिंदगी के ख़्वाब अँधेरे में पल गए ! - Khwaab Shayari

आँखे तो क़ैदखाने से बाहर न आ सकी पर जिंदगी के ख़्वाब अँधेरे में पल गए !

Khwaab Shayari