आज फिर कुछ पुराने याद कर रहे हैं मुझे समझ नहीं आ रहा अब उन्हें मेरी कद्र है या मेरी ज़रुरत है ! - Kadar Shayari

आज फिर कुछ पुराने याद कर रहे हैं मुझे समझ नहीं आ रहा अब उन्हें मेरी कद्र है या मेरी ज़रुरत है !

Kadar Shayari