समय भी रुक गया था गुजरते हुए करीब से आज उतरी थी चांदनी आंगन के नसीब से ! - Naseeb Shayari

समय भी रुक गया था गुजरते हुए करीब से आज उतरी थी चांदनी आंगन के नसीब से !

Naseeb Shayari