एक सफ़र पे यूँ ही कभी चल दो तुम जो दुरी खुद से हैए उसे खत्म करने के लिए! - Safar Shayari

एक सफ़र पे यूँ ही कभी चल दो तुम जो दुरी खुद से हैए उसे खत्म करने के लिए!

Safar Shayari