बचपन हमारा अपने सपनों को मुट्ठी में करने का था, अब तो हम शुद्ध देसी बेरोजगार है। - Desi Shayari

बचपन हमारा अपने सपनों को मुट्ठी में करने का था, अब तो हम शुद्ध देसी बेरोजगार है।

Desi Shayari