अब वफा की उम्मीद भी किस से करे भला, मिटटी के बने लोग कागजो मे बिक जाते है। - Umeed Shayari

अब वफा की उम्मीद भी किस से करे भला, मिटटी के बने लोग कागजो मे बिक जाते है।

Umeed Shayari