इंसानियत की राह पर तुम्हे चलना होगा ठोकरे खाकर ही ​भी तुम्हे संभलना होग. - Insaniyat Shayari

इंसानियत की राह पर तुम्हे चलना होगा ठोकरे खाकर ही ​भी तुम्हे संभलना होग.

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