मेरी जबान के मौसम बदलते रहते है मै तो आदमी हूं मेरा ऐतबार मत करना ! - Insaniyat Shayari

मेरी जबान के मौसम बदलते रहते है मै तो आदमी हूं मेरा ऐतबार मत करना !

Insaniyat Shayari