कुछ इस क़दर तेज़ रफ़्तार है ज़िंदगी की ऐ ग़ालिब कि सुबह का दर्द भी शाम को पुराना लगता है ! - Busy Shayari

कुछ इस क़दर तेज़ रफ़्तार है ज़िंदगी की ऐ ग़ालिब कि सुबह का दर्द भी शाम को पुराना लगता है !

Busy Shayari