न गुल खिले हैं न उन से मिले न मय पी है. अजीब रंग में अब के बहार गुज़री है. - Nasha Shayari

न गुल खिले हैं न उन से मिले न मय पी है. अजीब रंग में अब के बहार गुज़री है.

Nasha Shayari