समंदर बेबसी अपनी किसी से कह नहीं सकता, हजारों मील तक फैला है, फिर भी बह नहीं सकता ! - Samandar Shayari

समंदर बेबसी अपनी किसी से कह नहीं सकता, हजारों मील तक फैला है, फिर भी बह नहीं सकता !

Samandar Shayari