ग़मों के नूर में लफ़्जों को ढालने निकले। गुहरशनास समंदर खंगालने निकले। - Samandar Shayari

ग़मों के नूर में लफ़्जों को ढालने निकले। गुहरशनास समंदर खंगालने निकले।

Samandar Shayari