गुस्से में कभी इतना रायता ना फैलाओ, की चाहकर भी उसे सिमेट ना पाओगे । - Gussa Shayari

गुस्से में कभी इतना रायता ना फैलाओ, की चाहकर भी उसे सिमेट ना पाओगे ।

Gussa Shayari