गिरकर संभलकर अपने पैरों पर खड़े हैं ए जिंदगी अभी बाकी है सफर मुकम्मल करने को कई ख्वाब पड़े हैं! - Zindagi Shayari

गिरकर संभलकर अपने पैरों पर खड़े हैं ए जिंदगी अभी बाकी है सफर मुकम्मल करने को कई ख्वाब पड़े हैं!

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