ये प्यार का भी अलग दस्तूर है साहब एक तर्फे से शुरू हो के बेवफाई पर खत्म होता है - 2 Line Sad Shayari

ये प्यार का भी अलग दस्तूर है साहब एक तर्फे से शुरू हो के बेवफाई पर खत्म होता है

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