मत तोला कर इबादत को अपने हिसाब से, रहमतें उसकी देखकर, अक्सर तराज़ू टूट जाते हैं। - Aksar Shayari

मत तोला कर इबादत को अपने हिसाब से, रहमतें उसकी देखकर, अक्सर तराज़ू टूट जाते हैं।

Aksar Shayari