पहले बोसे की नीम-गर्म आहट, फिर रग-ए-जाँ में रत-जगाई है। - Aahat Shayari

पहले बोसे की नीम-गर्म आहट, फिर रग-ए-जाँ में रत-जगाई है।

Aahat Shayari