ये ज़रूरी नहीं हर शख़्स मसीहा ही हो, प्यार के ज़ख़्म अमानत हैं दिखाया न करो! - Amanat Shayari

ये ज़रूरी नहीं हर शख़्स मसीहा ही हो, प्यार के ज़ख़्म अमानत हैं दिखाया न करो!

Amanat Shayari