अमानत सौंप कर बुनियाद भी हश्र-आफ़रीं रख दी जहाँ से एक मुट्ठी ख़ाक उठाई थी वहीं रख दी। - Amanat Shayari

अमानत सौंप कर बुनियाद भी हश्र-आफ़रीं रख दी जहाँ से एक मुट्ठी ख़ाक उठाई थी वहीं रख दी।

Amanat Shayari