अब तुझसे शिकायत करना मेरे हक मे नहीं, क्योंकि तू आरजू मेरी थी पर अमानत शायद किसी और की। - Amanat Shayari

अब तुझसे शिकायत करना मेरे हक मे नहीं, क्योंकि तू आरजू मेरी थी पर अमानत शायद किसी और की।

Amanat Shayari