उट्ठा जो अब्र दिल की उमंगें चमक उठीं  लहराईं बिजलियाँ तो मैं लहरा के पी गया  - Abr Shayari

उट्ठा जो अब्र दिल की उमंगें चमक उठीं लहराईं बिजलियाँ तो मैं लहरा के पी गया

Abr Shayari