अब्र की तीरगी में हम को तो सूझता कुछ नहीं सिवाए शराब मीर मेहदी मजरूह। - Abr Shayari

अब्र की तीरगी में हम को तो सूझता कुछ नहीं सिवाए शराब मीर मेहदी मजरूह।

Abr Shayari