ये चाँद बीते ज़मानों का आइना होगा भटकते अब्र में चेहरा कोई बना होगा - Abr Shayari

ये चाँद बीते ज़मानों का आइना होगा भटकते अब्र में चेहरा कोई बना होगा

Abr Shayari