बरसात का मज़ा तिरे गेसू दिखा गए अक्स आसमान पर जो पड़ा अब्र छा गए

बरसात का मज़ा तिरे गेसू दिखा गए अक्स आसमान पर जो पड़ा अब्र छा गए

Abr Shayari

 सब्ज़ा ओ गुल कहाँ से आए हैं अब्र क्या चीज़ है हवा क्या है

सब्ज़ा ओ गुल कहाँ से आए हैं अब्र क्या चीज़ है हवा क्या है

या अब्र-ए-करम बन के बरस ख़ुश्क ज़मीं पर  या प्यास के सहरा में मुझे जीना सिखा दे

या अब्र-ए-करम बन के बरस ख़ुश्क ज़मीं पर या प्यास के सहरा में मुझे जीना सिखा दे

 अब्र की तीरगी में हम को तो सूझता कुछ नहीं सिवाए शराब मीर मेहदी मजरूह।

अब्र की तीरगी में हम को तो सूझता कुछ नहीं सिवाए शराब मीर मेहदी मजरूह।

हम ने बरसात के मौसम में जो चाही तौबा  अब्र इस ज़ोर से गरजा कि इलाही तौबा

हम ने बरसात के मौसम में जो चाही तौबा अब्र इस ज़ोर से गरजा कि इलाही तौबा

अब्र बरसे तो इनायत उस की शाख़ तो सिर्फ़ दुआ करती है

अब्र बरसे तो इनायत उस की शाख़ तो सिर्फ़ दुआ करती है

इधर से अब्र उठ कर जो गया है हमारी ख़ाक पर भी रो गया है

इधर से अब्र उठ कर जो गया है हमारी ख़ाक पर भी रो गया है

अब्र लिखती है कहीं और घटा लिखती है रोज़ इक ज़ख़्म मिरे नाम हवा लिखती है

अब्र लिखती है कहीं और घटा लिखती है रोज़ इक ज़ख़्म मिरे नाम हवा लिखती है

बरसात का मज़ा तिरे गेसू दिखा गए  अक्स आसमान पर जो पड़ा अब्र छा गए

बरसात का मज़ा तिरे गेसू दिखा गए अक्स आसमान पर जो पड़ा अब्र छा गए

ये चाँद बीते ज़मानों का आइना होगा भटकते अब्र में चेहरा कोई बना होगा

ये चाँद बीते ज़मानों का आइना होगा भटकते अब्र में चेहरा कोई बना होगा

सब्ज़ा ओ गुल कहाँ से आए हैं  अब्र क्या चीज़ है हवा क्या है

सब्ज़ा ओ गुल कहाँ से आए हैं अब्र क्या चीज़ है हवा क्या है

फ़लक पर उड़ते जाते बादलों को देखता हूँ मैं  हवा कहती है मुझ से ये तमाशा कैसा लगता है

फ़लक पर उड़ते जाते बादलों को देखता हूँ मैं हवा कहती है मुझ से ये तमाशा कैसा लगता है

गो बरसती नहीं सदा आँखें  अब्र तो बारा मास होता है

गो बरसती नहीं सदा आँखें अब्र तो बारा मास होता है

ये एक अब्र का टुकड़ा कहाँ कहाँ बरसे तमाम दश्त ही प्यासा दिखाई देता है

ये एक अब्र का टुकड़ा कहाँ कहाँ बरसे तमाम दश्त ही प्यासा दिखाई देता है

 हम ने बरसात के मौसम में जो चाही तौबा अब्र इस ज़ोर से गरजा कि इलाही तौबा।

हम ने बरसात के मौसम में जो चाही तौबा अब्र इस ज़ोर से गरजा कि इलाही तौबा।

 शतरंज का तो खिलाड़ी हूँ, लेकिन मोहब्बत में अनाड़ी हूँ।

शतरंज का तो खिलाड़ी हूँ, लेकिन मोहब्बत में अनाड़ी हूँ।

नारी हूँ मैं, तुम भी नजरें ना फेरना, प्यार में हार जाऊँगी, ये इश्क़ न खेल है जाना।

नारी हूँ मैं, तुम भी नजरें ना फेरना, प्यार में हार जाऊँगी, ये इश्क़ न खेल है जाना।

चली गई वो किसी और के साथ, सच में मैं मोहब्बत के इस खेल में अनाड़ी निकला ।

चली गई वो किसी और के साथ, सच में मैं मोहब्बत के इस खेल में अनाड़ी निकला ।

अनारी सी बातों में छुपी है दिल की बात, कैसे कह दूँ तुमसे, हो गया है प्यार ।

अनारी सी बातों में छुपी है दिल की बात, कैसे कह दूँ तुमसे, हो गया है प्यार ।