अपने अधिकारों की धुन है; कर्तव्य की नहीं, अधिकार-क्षेत्र बढ़ाने के पीछे सभी पागल हो रहे हैं! - Adhikaar Shayari

अपने अधिकारों की धुन है; कर्तव्य की नहीं, अधिकार-क्षेत्र बढ़ाने के पीछे सभी पागल हो रहे हैं!

Adhikaar Shayari