इंसान अगर ठान ले तो असंभव कुछ भी नहीं, असंभव शब्द का इस्तेमाल कायर करते हैं।

इंसान अगर ठान ले तो असंभव कुछ भी नहीं, असंभव शब्द का इस्तेमाल कायर करते हैं।

Asambhav shayari

आप जब भी कोई असंभव  दिखने वाला काम करते हैं,तो आप इतनी शिद्दत से कोशिश करें कि आप उसमें असफल नहीं होंगे।

आप जब भी कोई असंभव दिखने वाला काम करते हैं,तो आप इतनी शिद्दत से कोशिश करें कि आप उसमें असफल नहीं होंगे।

 असंभव कुछ भी नहीं, असंभव वो है जिसे हम असंभव मान लें।

असंभव कुछ भी नहीं, असंभव वो है जिसे हम असंभव मान लें।

मेरे शब्दकोष में असंभव शब्द नहीं है!

मेरे शब्दकोष में असंभव शब्द नहीं है!

असंभव शब्द सिर्फ बेवकूफों के शब्दकोष में पाया जाता है!

असंभव शब्द सिर्फ बेवकूफों के शब्दकोष में पाया जाता है!

असंभव कुछ भी नही गर चाहे तो।

असंभव कुछ भी नही गर चाहे तो।

जो मान लेते हैं हार, लेकिन ये उन लोगों के लिए नहीं है जो ठान लेते हैं जीत।

जो मान लेते हैं हार, लेकिन ये उन लोगों के लिए नहीं है जो ठान लेते हैं जीत।

असंभव का नाम न लो, इस संभव विश्व में अंभव कहां!

असंभव का नाम न लो, इस संभव विश्व में अंभव कहां!

जब तक कोई काम हो नहीं जाता वह असंभव ही लगता है आप की एकमात्र सीमा आप खुद ही हैं।

जब तक कोई काम हो नहीं जाता वह असंभव ही लगता है आप की एकमात्र सीमा आप खुद ही हैं।

 संभव और असंभव के बिच की दुरी, व्यक्ति के निश्चय पर निर्भर करती है ।

संभव और असंभव के बिच की दुरी, व्यक्ति के निश्चय पर निर्भर करती है ।

कठिन वह है जो थोड़ा समय लेता है और संभव वह है जो कुछ अधिक समय लेता है!

कठिन वह है जो थोड़ा समय लेता है और संभव वह है जो कुछ अधिक समय लेता है!

असंभव वो बोलते है जो कामचोर होते है।

असंभव वो बोलते है जो कामचोर होते है।

 सपने और प्यार में, कुछ भी असंभव नही है।

सपने और प्यार में, कुछ भी असंभव नही है।

हम भी मुस्कराते थे कभी बेपरवाह अन्दाज़ से देखा है आज खुद को कुछ पुरानी तस्वीरों में

हम भी मुस्कराते थे कभी बेपरवाह अन्दाज़ से देखा है आज खुद को कुछ पुरानी तस्वीरों में

तू बचपन में ही साथ छोड़ गयी थी, अब कहाँ मिलेगी ऐ जिन्दगी, तू वादा कर किसी रोज ख़्वाब में मिलेगी।

तू बचपन में ही साथ छोड़ गयी थी, अब कहाँ मिलेगी ऐ जिन्दगी, तू वादा कर किसी रोज ख़्वाब में मिलेगी।

 मै उसको छोड़ न पाया बुरी लतों की तरह, वो मेरे साथ है बचपन की आदतों की तरह

मै उसको छोड़ न पाया बुरी लतों की तरह, वो मेरे साथ है बचपन की आदतों की तरह

आते जाते रहा कर ए दर्द तू तो मेरा बचपन का साथी है.

आते जाते रहा कर ए दर्द तू तो मेरा बचपन का साथी है.

किताबों से निकल कर तितलियाँ ग़ज़लें सुनाती हैं टिफ़िन रखती है मेरी माँ तो बस्ता मुस्कुराता है

किताबों से निकल कर तितलियाँ ग़ज़लें सुनाती हैं टिफ़िन रखती है मेरी माँ तो बस्ता मुस्कुराता है

बचपन भी क्या खूब था , जब शामें भी हुआ करती थी, अब तो सुबह के बाद, सीधा रात हो जाती है।

बचपन भी क्या खूब था , जब शामें भी हुआ करती थी, अब तो सुबह के बाद, सीधा रात हो जाती है।